Tag: shobha

एक और दामिनी

-शोभा आर्या मां मै नन्ही गुड़िया तेरे आंचल की, तुम्हारा आंगन,गूंजता था कभी आवाज सुनकर मेरे पायल की। मां,क्या तुम्हारा उस गली में जाना हुआ, जहां आज, नाम के लिए सिर्फ अंधेरा और सन्नाटा है, पर उसी गली में मैने अपना आखिरी पल, चीखते चिल्लाते हुए कटा है। उस गली में गिरी मेरी खून को […]

एक खत-पापा के लिए

जब कोई बच्चा, पापा कहकर, दौड़कर अपने पापा के पास जाता है। मेरी आंखें भर जाती हैं, मैं भी अपने पापा से, मिलने को तड़पती हूं, पापा मैं आपको बहुत याद करती हूं, उंगली पकड़कर चलना आपने सिखाया। अपने कंधे में बिठाकर, वो सतरंगी मेला आपने दिखाया। याद है आपका, फटे जूतों में, शादियों में […]