ना देखा कभी, उन्हें न जाना, पिता का प्यार क्या होता है। इससे मैं तो हूं अनजाना। सोचता हूं मैं वे होते तो शायद कुछ ऐसा होता टाॅफी-चाकलेट बिस्कुट लाते वो साथ अपने गोदी में उठा के मुझको, खिलाते हाथों से अपने, कागज की कश्ती से लेकर, बाजार के सारे खिलौने होते तो पास मेरे […]