ताप न जिसको झुलसा पाया, शीत न जिसको ठिठुरा पाई। विषम परिस्थितियों में पल कर जिसने अपनी राह बनाई मेरे पिता मेरी परछांई। बड़े-बड़े झंझावत जिसके बढ़ते कदम रोक नहीं पाए, अपने ही तप श्रम के बल पर ज्ञान साधना-सिद्धी पाई मेरे पिता मेरी परछांई। समता भाव था उनके अंदर, भेदभाव को नहीं अपनाए। मदद […]