-प्रेमलता, चौखुटिया, अल्मोड़ा ऐ प्रकृति तू ऐ प्रकृति तू इतनी अद्भुत कैसे हो गई है? ना कोई जादू ना कोई चमत्कार फिर ऋतुओं में परिवर्तन कैसे लाती है? ऐ प्रकृति तू… कभी जाड़े से तेरे तपन बिन देह का लहू भी जम जाता! तो कभी तेरी हवा व छांव बिन जीवन तक थम जाता है! […]