हाँ मुझे प्रेम है उस नन्हें बच्चे से जो हँसते-हँसाते रोते-बिलखते कबाड़ के ढेरों से दो जून की रोटी ढूँढ रहा।। या कहूँ उस से प्रेम जो इक हया की चादर में लिपटाकर गली,नालों या बीहड़ जंगलों में वात्सल्यता की पुजारिन हाथों फेंकी गयी हो।। हाँ मुझे प्रेम उस माँ से भी है जिसने नौ […]