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मैं धूल पिता के पांव की

मेरा अस्तित्व क्या है बस, मैं धूल पिता के पांव की। पिता ही पवित्र वंदन है जैसे माटी मेरे गांव की। पिता ही मेरे जीवन दर्शन, पिता ही स्वाभिमान हैं, पिता ही मेरी धरती माता, पिता ही आसमान हैं। पिता की बातें तीखी धूप और पिता की बातें छांव भी। मेरा अस्तित्व क्या है बस, […]