मैं हूं जैसे एक ओस की बंद घास पर, पर मेरे पापा के लिए हूं मैं एक नायाब मोती। जैसे वृक्ष के सहारे बढ़ती है एक बेल, ठीक वैसे ही बढ़ाया है मेरे पापा ने मुझे। कठिनाइयों की आंधी में ढाल बन, सदैव खड़े रहे हैं मेरे पास। स्वयं को आग में जला विशिष्टता, के […]
मैं हूं जैसे एक ओस की बंद घास पर, पर मेरे पापा के लिए हूं मैं एक नायाब मोती। जैसे वृक्ष के सहारे बढ़ती है एक बेल, ठीक वैसे ही बढ़ाया है मेरे पापा ने मुझे। कठिनाइयों की आंधी में ढाल बन, सदैव खड़े रहे हैं मेरे पास। स्वयं को आग में जला विशिष्टता, के […]
मै हूँ जैसे एक ओस की बूँद घास पर पर मेरे पापा के लिये हूँ मै एक नायाब मोती जैसे वृक्ष के सहारे बढती है एक बेल ठीक वैसे ही बढाय़ा है मेरे पापा ने मुझे कठिनाईय़ो की ऑधी मे ढाल बन सदैव खडे रहे है मेरे पास । स्वयं को आग में जला विशिष्ठता […]