Tag: rashmi joshi

कर्तव्यमूर्ति पिता

मेरे जीवन की नींव, परिवार का मुख्य आधार, क्रोध में भी छिपा स्नेह और असीमित प्यार, हे पिता! आप हैं, आप ही हैं। मां के श्रंगार, पायल, बिंदी, सिंदूर लाल चूड़ियों की खनखनाहट के साथ गले का सुंदर हार हे पिता! आप हैं, आप ही हैं। नामकरण, शिक्षा, विवाह और विदाई जैसे संस्कार प्रगति पथ […]

मेरा मन भी बरस रहा है

आज बारिश की कुछ बूंदों के साथ मेरा मन भी बरस रहा है, मिल गयी हैं अब बूंदे भी मिट्टी से अब मेरा मन भी तरस रहा है। और लो वो वहाँ से बादल ने भी किया इशारा है, एक मुसाफिर चला आ रहा है , देखो सखी वही प्रियतम तुम्हारा है। दौड़ कर उस […]