पिताजी आपने परछाई बनकर, पग पग साथ निभाया। मैं तो था एक शून्य मात्र, मुझे पहचान दी और नाम दिया।। मैं था बस ढेर माटी का, मुझको आकार दिया। हर मोड़ पर मार्गदर्शित कर, मुझे एक पात्र बना दिया।। निश्चित ही माता ने जन्म दिया, लाड़ प्यार भी खूब किया। परंतु आपकी फटकार ने, मुझे […]