Tag: pooja negi pakhi

दबे जज्बात

-पूजा नेगी (पाखी) अकेली ही,आँखों मे उम्मीद लिए चलती हूँ। खमोश लब्जों में,दबे जज्बात लिए चलती हूँ। गिरती हूँ हर बार,किसी अपने की चोट से, फिर भी,मैं उठने की आश लिए चलती हूँ। बेशक ये उम्मीद टूटी,आँखे भी नम है मेरी फिर भी मैं ख्वाबों का कारवां लिए चलती हूँ। कहने को सब अपने हैं,दिल […]

चल तुझे

-पूजा नेगी (पाखी) चल तुझे दुनिया की रीत सीखाती हूँ। खोए हुए तुझे,तेरे वजूद से मिलाती हूँ। तू पकड़कर तो देख,दामन किसी का। छूटे हुए पीछे,अपनों के हाथ गिनाती हूँ। चल तुझे दुनिया की रीत सीखाती हूँ। मिटाकर देख खुद को,अपनों के लिए उठे हुए तुझ पर,कई सवाल गिनाती हूँ। तेरे-मेरे के द्वंद्व से,बाहर आकर […]

फिर से एक माँ की…..

-पूजा नेगी (पाखी) फिर से एक माँ की तपस्या, बेकार हो गई। आज फिर देवभूमि से मेरी, इंसानियत शर्मसार हो गई। एक बार नही,बार-बार ये मंजर दोहराता है, क्योंकि यहाँ की सरकार,बेकार हो गई। कोई दण्ड नही,आरोपी को सुरक्षा दी जाती है। यहाँ की कचहरी जैसे,आरोपी की तारणहार हो गई। फिर से एक माँ की […]

भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे

-पूजा नेगी (पाखी) भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे आजाद हिंद की धरती पर हम वीर सपूत कहलायेंगे। आओ हम सब मिल जुलकर भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे। यहाँ योग-साधना कण-कण में बसती है आस्था जन-जन में। जो धरती सबकी जननी हैं। इसे मिलकर स्वर्ग बनाएंगे। होगा सभी का उद्धार यहाँ हर दिल का बैर मिटाएंगे। हिंदू-मुस्लिम,सिख-ईसाई सब […]

माँ याद आती है

-पूजा नेगी (पाखी), पुराना बिंदुखत्ता, लालकुआं तेरी ममता की छांव मुझे माँ अकसर याद आती है। तन्हाई के हर आलम में एक एहसास बन जाती है। एहसासों के आलम को माँ जीना सीखा देती है। गुमनाम सी जिंदगी को एक पहचान दे देती है। दूरी तुझसे कितनी भी हो माँ याद तेरी आ जाती है। […]