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सर्व ब्यापी प्रभु

है कौन बसा पल पल में ? घन तिमिर सहज मिट जाता कौन दीप्त है दीपों की झलमल में? धुन किसकी गुंजित उपवन में. बोल किसके अलि गजल में? चपला बन ये कौन थिरकता घहराते बदल में? अमृत रस से सींचे जग को कौन घुला है जल में? उष्नित करता जड़ चेतन को कौन दहकता […]

नारी तू नारी से  ईर्ष्या करती आयी है

नारी तू नारी से  ईर्ष्या करती आयी है। तभी तू जाग कर भी नही उठ पायी  है। सास बहू ननद भाभी की , कहानी कहती आयी हैं तू पुरूष से दबती,  स्त्री को दबाती आयी है। पुत्र की चाह में पुत्री को दिया गर्भ में मार क्या बेटा व बेटी में। तू अंतर कर पाई […]

बदलता जमाना

अब कोई है न सीता वह धनुष जो उठाए कोई है ना राम जो शिव धनुष जो तोड़े । अब केवल दशानन इंसान हैं सारे। मंथरा कैकेई से नारी के साये। थे तब रीछ बानर भालू भी अपने गिलहरी काग, गरुड़ भी स्वजन थेेे अब भाई भाई की हैं सुपारी ही देते, कैसा समय ये […]