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चोंचले

अनुशासन का पाठ पढ़ाता, धुल-धुल होती काया। प्रपंचों के इस दलदल में, हमने ओर न छोर पाया। सरस्वती, लक्ष्मी का गठजोड़, हो रहा सब पर तारी। एक दूजे की की पूरक बनकर सब पर भारी आत तार्या से कांपती धरती शेषनाग का सिंहासन डोला। भुवन मोहिनी मुस्कान लिए, लक्ष्मी ने लिया हिचकोला। रीझ गए माया […]