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कंधे पर जिसकी वो नन्हीं उम्र बिताई

कंधे पर जिसकी वो नन्हीं उम्र बिताई, अंगुली जिसकी थाम के, कदमों ने ली अंगड़ाई, पग बढ़ाने का हौसला देकर, पैरों पर जिसने खड़ा किया, मेरी आस, मेरा विश्वास, मेरे पिता मेरी परछाई। कभी परिवार बीच अकेला, तो कभी अकेला ही परिवार है पिता, मुसीबतें हमारी काटने वाली अकेली तलवार है पिता, सपना मेरा सच […]