Tag: nari par kavita

मृत्यु को मैं जी रही

-डॉ. शबाना अंसारी विरह में प्रियतम के संसार ही सुनसान है घुट घुट के जी रही विष ये भी पी रही तुम बिन मेरे प्रियतम मृत्यु को मैं जी रही सात वचनो में बंधी देह को तेरी किया धूल चरनो की तेरी मांग में अपनी भरा इससे जियादा किया करूं ये वचन कम तो नहीं […]

करो सम्मान नारी का

-डॉ. गुंजन जोशी, हल्द्वानी, उत्तराखंड करो सम्मान नारी का, तो हो उद्घार देश का जन्मदाता है वीरों की, ये है आधार देश का।। एक नारी ही नारी को, संवार सकती है एक दूसरे का साथ बन,भव पार करती है। इस भूमि सी निश्छल है, सब पाप ढोती है फूल और काटों से शोभित, पावन धरती […]