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सफर दर सफर चलते रहे

सफर दर सफर चलते रहे दिन ढ़ला मौसम भी बदलते रहे नकाब कोई पहने, नकाब हो जाए दिन हर दिन मोम की तरह सांचों में ढ़लते रहे! वक्त वक्त की बात कभी धूप कभी बरसात दुख सुख रहता है साथ साथ सर्द हवा ने थामा हाथ कभी कभी अंगारों से पैर जलते रहे सफर दर […]