भोर भयी अब उठ रे बन्दे मंजिल का सफर अभी बाकी है प्रातः काल का विहंगम दृश्य पक्षियों का कोलाहल देख मंद-मंद हवाएँ दूर क्षितिज में उगता सूरज प्रकृति का कौतूहल देख आलस्य छोड निकल कर्तव्य पथ पर अभी तो दुनियां सपनों की है भाई! मंजिल का सफर अभी बाकी है। कोशिशें एक के बाद […]