-मन्जू सिजवली महरा, हल्द्वानी गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ, तुम स्वछताक प्रेमी छिया नें, पर आज लै गंदी छन शहरोँ गल्ली, आज गों लै नी छन साफ। गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ। क्याप छ्यू हो तुमर लै टेम, एक ठऔर बे दुहर ठऔर कब चिट्ठी पुजली कब कुशलक्षेम। आज एन्ट्र्नेटक जमान […]