Tag: manju sijwali

गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ

-मन्जू सिजवली महरा, हल्द्वानी गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ, तुम स्वछताक प्रेमी छिया नें, पर आज लै गंदी छन शहरोँ गल्ली, आज गों लै नी छन साफ। गांधी ज्यू तुम हमन कें करिया माफ। क्याप छ्यू हो तुमर लै टेम, एक ठऔर बे दुहर ठऔर कब चिट्ठी पुजली कब कुशलक्षेम। आज एन्ट्र्नेटक जमान […]

काली-स्याही

-मन्जू सिजवली महरा, हल्द्वानी जिसकी फटी हुई तस्वीर भी जलने में हिचक्ते थे ये हाथ। उसको अपने ही हाथों से सारा जला दिया। जिस कागज पर उसका नाम लिख जाता, उसी से मुहब्बत हो जाती थी। आज उसकी राख को भी पानी में बहा दिया। रत्ती भर नाराजगी देख हर बात मान जाता था। आज […]

मेरे बाबू

पैदा तो मै भी कच्चिमीट्टि का खिलौना थी, मुझे इन्सान बनाने वाले तो मेरे बाबू है। मेरा हर शौक कब उनकी जरुरत बन गया, कमियों में जीना कब उनकी आदत बन गया। खुद फटी कमीज में रह कर, मुझे नया सूट दिलाने वाले मेरे बाबू हैं। उंगलियाँ पकड़ कर मुझे पहला कदम चलाया, ठोकर खाकर […]