Tag: maa par kavita

माँ को संदेश

– ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी माँ I Am sorry माँ …❤️🙏 तेरे डाँटने पर मैं, तुझपर चिल्लाती हूँ। गुस्सा करती, तुझसे झगड़ती बात समझ नहीं पाती हूँ। तेरी कही गई बात मुझे, झटपट बूरी लग जाती है। जबकि वह मेरे भले के लिए ही बोली जाती है। माँ I Am sorry माँ ..❤️🙏 यह दुनिया […]

उसने कैसे पाले बच्चे

-बीना फूलेरा, हल्द्वानी उसने कैसे पाले बच्चे ये मत पूछो उससे वो रो पड़ेगी फ़ूटकर खिड़की के दरवाजे से बाधे गए उस बच्चें के पैर बता देगी साड़ी में पड़ी गाठें वो बंद दरवाजे गवाही दे देंगे जिन्हें पीटा गया नन्हें हाथों से दीवारों से पूछों सुनाई देंगी अनगिनत अनसुनी आवाजें जो लगाई उस बच्चें […]

मां!

-डॉ.आभा सिंह भैसोड़ा, हल्द्वानी मां तो मां ही होती है , वो जवान,ना बूढ़ी होती है । पर्याय,खूबसूरती का करती वहन, होती अहसास का वो आह्वाहन। मां के माथे की हर लकीर , होती उसके श्रम की ही तस्वीर। इन लकीरों की कोशिश ही तो, बनाती है हमारी तकदीर । मां का हर भाव और […]

माँ याद आती है

-पूजा नेगी (पाखी), पुराना बिंदुखत्ता, लालकुआं तेरी ममता की छांव मुझे माँ अकसर याद आती है। तन्हाई के हर आलम में एक एहसास बन जाती है। एहसासों के आलम को माँ जीना सीखा देती है। गुमनाम सी जिंदगी को एक पहचान दे देती है। दूरी तुझसे कितनी भी हो माँ याद तेरी आ जाती है। […]

मेरी प्यारी माँ

-बिपाषा पौडियाल,हल्द्वानी सबसे अलग व सबसे प्यारी मेरी माँ है भोली-भाली मुझे पढाती मुझे लिखाती सबके साथ घुल मिलकर रहना सिखलाती मुझे देखकर वह मुस्काती मुझे दुखी वह देख न पाती अच्छा- अच्छा खाना बनाती सबको खिलाकर खुद बाद मे खाती है मेरी माँ मेरी माँ की तो बात है निराली सबसे अलग व सबसे […]