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दबे जज्बात

-पूजा नेगी (पाखी) अकेली ही,आँखों मे उम्मीद लिए चलती हूँ। खमोश लब्जों में,दबे जज्बात लिए चलती हूँ। गिरती हूँ हर बार,किसी अपने की चोट से, फिर भी,मैं उठने की आश लिए चलती हूँ। बेशक ये उम्मीद टूटी,आँखे भी नम है मेरी फिर भी मैं ख्वाबों का कारवां लिए चलती हूँ। कहने को सब अपने हैं,दिल […]

बस कह दो जरा तुम

चल पड़ूँगी साथ, थामे हाथ, बस कह दो जरा तुम जोड़ लूँगी साँस, तुम संग आस, बस कह दो जरा तुम ज्यों हवा के स्पर्श से डाली, लताएं झूमतीं चाँद औ’ सूरज की किरणें, ज्यों शिखर को चूमतीं चूम लूँगी मैं तुम्हारा भाल, बस कह दो जरा तुम राह पथरीली हो या, पथ में हों […]