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चारों दिशा से नर-नारी सब,होली खेलन आत

प्रात: से जहां भंग छनत है,सब रंग गुलाल उड़ाते। चारों दिशा से नर-नारी सब,होली खेलन आत।। मस्त मलंगों की जहां टोली, सभी जहां दिवाने। पान घुला के रंग जमा के,सब लूटत सारे खजाने।। गुझिया नमकीन और ठंडई,लवके चारों कोना। छनत जलेबी और पकौड़ी,बजत कड़ाही पौना।। ऊंच-नीच का भेद नहीं, जहां कोई बड़ा ना छोटा। रंग […]

सत़युग में श्री हरि विष्णु, त्रेता में श्री राम

सत़युग में श्री हरि विष्णु, त्रेता में श्री राम। द्वापर में श्री कृष्णा कन्हैया, कलियुग में श्री श्याम। बोला भाई राम-राम, होली हो रही जैसे की बृजधाम।। काशी में खेले भोला शंकर, अयोध्या में खेले राम। बृज के धाम में कुंवर कन्हैया,खाटू में श्री श्याम।। पार्वती संग भोला शंकर,सीता संग श्री राम। राधा संग में […]