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भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे

-पूजा नेगी (पाखी) भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे आजाद हिंद की धरती पर हम वीर सपूत कहलायेंगे। आओ हम सब मिल जुलकर भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे। यहाँ योग-साधना कण-कण में बसती है आस्था जन-जन में। जो धरती सबकी जननी हैं। इसे मिलकर स्वर्ग बनाएंगे। होगा सभी का उद्धार यहाँ हर दिल का बैर मिटाएंगे। हिंदू-मुस्लिम,सिख-ईसाई सब […]

साहित्यिक परिवेश का शैशव काल

-मोहन चंद्र जोशी, वरिष्ठ साहित्यकार लालकुआं हरफनमौला साहित्यिक संस्था और हास्य-व्यंग के सशक्त हस्ताक्षर गौरब त्रिपाठी एक दूसरे के समपूरक, ध्रुव हें, संभवतया वह किसी परिचय के मोहताज नहीं। साहित्यिक परिवेष अभी कुछ ही वर्षों का हुवा है इसे शैशव काल कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी , पर जिस सुदृढता के साथ गतिविधियों का […]

पिता हैं भगवान मेरे

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल पिता हैं भगवान मेरे, पिता हैं सम्मान मेरे। पिता से हैं अस्तित्व मेरा, पिता से है पहचान मेरी।। मरहम बनकर लग जाते, जब चोट मुझे सताती। पिता बिन दुनिया सूनी, जैसे तपती आग की धूनी।। पिता प्रेम की धारा हैं, पिता जीने का सहारा हैं। पिता का प्यार हैं अनोखा, […]

अनोखा रिश्ता

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल मेरी यह कविता मेरी सासू मां को समर्पित हैं। जिन्होंने हर पल मुझे प्यार दिया, सम्मान दिया। आज के दौर में जहाँ रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिलती हैं, वहाँ विश्वास और भरोसे से हर किसी के मन को जीता जा सकता हैं। यादों की मिठास निराली, बात है यह […]

मिलने को तरसा सारा मोहल्ला…

-आदित्य कुमार, पुराना बिन्दुखत्ता लालकुआं नैनीताल जिससे मिलने के लिए तरसता था सारा मोहल्ला। बस एक बार बात करने के लिए हो जाता था हो हल्ला।। वो आज मिले भी तो बस एक बात ही बोले हमसे, ‘हमें ही वोट देना’ चीख़ चीख़ के बोले वो गल्ला।।

शायरी-इस बारिश ने हमको

1 इस बारिश ने हमको फिर से भीगा दिया तेरी उन यादों को फिर से जगा दिया 2 छोटे से दिल में गम बहुत है जिंदगी में मिले जख्म बहुत हैं मार ही डालती यह दुनिया हमें पर कमबख्त दोस्तों की दुआओं में दम बहुत है 3 मेरी मोहब्बत उसके जिस्म से नहीं उसकी रूह […]

पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है

पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है, पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है। पिता है तो घर में प्रतिपल राग है, पिता से मां की चूड़ी, बिंदी और सुहाग है। पिता है तो बच्चों के सारे सपने हैं, पिता हैं तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं। है भगवान का रूप वो जो […]

पिता तो धरती पर स्वयं भगवान का रूप है

पिता तो धरती पर स्वयं भगवान का रूप है, मेरे लिए तो यही जिंदगी का स्वरूप है। उंगली पकड़कर जिसने चलना सिखाया, कंधे पर जिसने बैठाया। याद आ जाती हैं वो कल्पनाएं, जिन्हें पिता ने सच बनाया। पिता तो धरती पर स्वयं भगवान का रूप है, मेरे लिए तो यही जिंदगी का स्वरूप है। कभी […]

वो पिता है

पिता का प्रेम बहुत अनमोल कहलाता है, हीरे मोतियों से भी कीमती पिता-संतान का नाता है। कड़ी धूप में मेहनत करके जो संतान के लिए खुशी जताता है, वो कोई और नहीं एक पिता ही कर पाता है। जो परिवार के सुख के लिए हजारों कठिनाइयां पार कर जाता है, वो पिता ही है जो […]

होली का श्रृंगार ठिठोली

हास्य व्यंग की अद्भुत पाठशाला है होली ठिठोली का पुख्ता आलम हमजोली शबनम कहती भीगत हैं गात ना सताइये ये रंगो-बरसात ना लाइये बसंती जामुनी गेहुऐं रंग भरकर हरित श्यामा अंगूर चासनी लेकर बांसुरी की धुन,थामे राग के घेवर कोपलों के छा गये हैं साख पर जेवर। सालती है रात, मत जगाइये सकुचाती है गात […]