-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल पिता हैं भगवान मेरे, पिता हैं सम्मान मेरे। पिता से हैं अस्तित्व मेरा, पिता से है पहचान मेरी।। मरहम बनकर लग जाते, जब चोट मुझे सताती। पिता बिन दुनिया सूनी, जैसे तपती आग की धूनी।। पिता प्रेम की धारा हैं, पिता जीने का सहारा हैं। पिता का प्यार हैं अनोखा, […]