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पिता हैं भगवान मेरे

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल पिता हैं भगवान मेरे, पिता हैं सम्मान मेरे। पिता से हैं अस्तित्व मेरा, पिता से है पहचान मेरी।। मरहम बनकर लग जाते, जब चोट मुझे सताती। पिता बिन दुनिया सूनी, जैसे तपती आग की धूनी।। पिता प्रेम की धारा हैं, पिता जीने का सहारा हैं। पिता का प्यार हैं अनोखा, […]

अनोखा रिश्ता

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल मेरी यह कविता मेरी सासू मां को समर्पित हैं। जिन्होंने हर पल मुझे प्यार दिया, सम्मान दिया। आज के दौर में जहाँ रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिलती हैं, वहाँ विश्वास और भरोसे से हर किसी के मन को जीता जा सकता हैं। यादों की मिठास निराली, बात है यह […]