Tag: kavita

मन हरण घनाछरी

ना समझो बेटी भार, है ये सृष्टि का आधार, देके शिक्षा हथियार , जीवन बचा इ ये। खुशियों के  भरो रंग, दीजिए नई तरंग, पढ़ा इन्हे बेटों सम, गौरव दिलाइए। मानो ना इन्हें पराई, लोगों से करो लड़ाई, सुन लो पुकार अब, रीत ये चलाइए। जिनके हैं मन काले, नारी बस देह लागे, ऐसे दुराचारी […]

कविता की खोज में…..

कभी बारिश को काट लेते हैं तो कभी सूर्य की किरणों को नाप लेते हैं, कभी सड़क किनारे रोते हुए बालक के आंसुओं को पहचान लेते हैं, तो कभी दुष्कर्म पीड़िता का दर्द जान लेते हैं, कभी छलांग आग में लगाते हैं तो कभी हवा पर दौड़ने लग जाते हैं, कभी देश भक्त हो जाते […]

अब छोड़ो भी

इससे, उससे आंख मिलाना, ताक झांक कर गाने गाना, घर वाली पर रौब जमाना, अब छोड़ो भी इसकी, उसकी चुगली खाना बेईमानों का साथ निभाना फंस जाने पर सिर खुजलाना, अब छोड़ों भी कद्दू लौकी के भाव बढ़ाना हां जी हां जी झपताल बजाना चौराहे पे,शाम को जाना, अब छोड़ो भी। मैली गंदी टोपी लाना […]

झूठे सच्चे ख्बाव दिखाना अच्छी बात नही होती

झूठे सच्चे ख्बाव दिखाना अच्छी बात नही होती किसी को सारी रात जगाना अच्छी बात नही होती, कभी किसी शब याद में आँखे नम हो जाएं चलता है रोज़ रोज़ तकिये को भिगाना अच्छी बात नही होती, पूनम की है रात नहा मत दरिया में… यूँ पानी मे आग लगाना अच्छी बात नही होती वो […]