Tag: Kaushlendra Prapanna

रिक्शावाला

  शाम हो ही चुकी थी। सर्दी दहलीज पर खड़ी थी। सोच रही थी गरमी जाए तो वो आ धमके। अंधेरा बस सड़क के लैंप पर उतर रहे थे। रिक्शा वाला अपनी लाइन में खड़ा था। अपनी बारी आए तो सवारी लेकर आज की रोटी बना सके। मेटो स्टेशन के आगे रिक्शे वालों की लंबी […]