-ज्योति मेहता संसार की नीव होती है बेटी। घर की दहलीज होती है बेटी। मां की अनुपस्थिति में घर चलाती है बेटी। शाम को हाथ में चाय थमाती है बेटी। दुख में भी मुस्कुराती है बेटी। बातो को साझा करती है बेटी। मां बाप का दुख बाटती है बेटी। बेटा बाहर कहीं जन्मदिन मनाएगा? घर […]