Tag: jyoti arya

अपनी चाह

अंतर होता है थक के बैठने में और हार के बैठने में गलती न कीजिएगा हुजूर अंतर पहचानने में थक कर बैठा, फिर उठ खड़ा हो सकता है और चाहने से पाने तक का सफर मुकम्मल कर सकता है अंतर होता है खेल से हारने में और मन से हारने में गलती न कीजिएगा हुजूर […]

पिता:- “मेरे ईश्वर “

है पिता सर्वस्व, जीवन का महत्व न नाप सके कोई जैसे अंबर की ऊँचाई कुछ कुछ वैसी ही होती है पितृ-प्रेम की गहराई। है पिता जग का सार, अस्तित्व का है आधार नमक की भाँति है प्रकृति इनकी जो हो तो न हो आभास, न हो तो अधूरा रहे हर उल्लास। है पिता वो कुम्हार, […]