-पूजा भट्ट कली से फूल बन जाती है जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है। नदियों के तीव्र वेग में भी जो, नौका अपनी पार लगाती है। वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है। समाज में खुद को ऊंचा उठाती है अंगारों में चलकर भी जिसको, हार नहीं कभी भाती है। वो कोई और […]
-पूजा भट्ट कली से फूल बन जाती है जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है। नदियों के तीव्र वेग में भी जो, नौका अपनी पार लगाती है। वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है। समाज में खुद को ऊंचा उठाती है अंगारों में चलकर भी जिसको, हार नहीं कभी भाती है। वो कोई और […]
-नीरज मिश्रा, देवल चमोली मैं हूँ एक लड़की मैं भी एक इंसान ….. मुझे जीने का अधिकार दो, ना आधा ना कम मुझे पुत्र के समान प्यार दो, घर का चूल्हा नहीं, ना ही झाड़ू लगाना, मुझे भी पढने का अधिकार दो, मैं हूँ एक लड़की मैं भी एक इन्सान, मुझे जीने का अधिकार दो, […]