-हर्षित जोशी, हल्द्वानी हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो, समझ कर सर का भार बियाही जाती है वो । अपनो की खातिर खुद के अरमानों का कत्ल कर लेती है वो , हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो ।।1।। […]
-हर्षित जोशी, हल्द्वानी हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो, समझ कर सर का भार बियाही जाती है वो । अपनो की खातिर खुद के अरमानों का कत्ल कर लेती है वो , हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो ।।1।। […]
-हर्षित जोशी, हल्द्वानी पहले हंसा करता था मैं , अब जिंदगी हंस रही है मुझे पर , चांदनी रात में चांद को , चंदा मामा कहता था मैं , जब मालूम हुआ मुझे , जिस चांद को चंदा मामा कहता हु मै , ना आएगा वो मुझसे मिलने वो, न लायेगा खिलौने मेरे लिए , […]