-ज्योति मेहता सृष्टि का सार है नारी । घर की पहचान है नारी। आंचल में छुपाती है नारी। दीवारों को घर बनाती है नारी। उठ भोर घर को मंदिर बनाती है नारी। अन्न को भोजन बनाती है नारी चकला बेलन का खेल खेलती है नारी। बंद कमरों में आंसू छुपाती है नारी धरती माता भी […]