-ललिता परगांई, गौलापार हल्द्वानी कौन भूल ऐसी की हमने जो यह दण्ड दिया है तुमने, हमे पालकर, दुग्ध निकाल फिर, छोड़ दिया दर-दर को भटकने, कौन भूल ऐसी की हमने , जो यह दण्ड दिया है तुमने, पूजा कर्म का ढोंग हो करते माँ बच्चे से दूर हो करते’ एक-एक पानी बूंद की पीने को […]