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एक और दामिनी

-शोभा आर्या मां मै नन्ही गुड़िया तेरे आंचल की, तुम्हारा आंगन,गूंजता था कभी आवाज सुनकर मेरे पायल की। मां,क्या तुम्हारा उस गली में जाना हुआ, जहां आज, नाम के लिए सिर्फ अंधेरा और सन्नाटा है, पर उसी गली में मैने अपना आखिरी पल, चीखते चिल्लाते हुए कटा है। उस गली में गिरी मेरी खून को […]

सुनो ओ पहाड़ की बेटियों

-किरन पंत ‘वर्तिका’ जाने किसकी नजर लगी मेरे गांव को मेरी खुशियों को नीलाम कर गए। मेरे देवों की पुण्य भूमि को यह बाहरी दानव कलंकित कर गए। मगर भयभीत ना होना तुम एक पल भी यह तुम्हारी शक्तियों को जागृत कर गए। एक ने बलिदान दिया तुम संहार करोगी सुनो ओ पहाड़ की बेटियों…………. […]

वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है

-पूजा भट्ट कली से फूल बन जाती है जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है। नदियों के तीव्र वेग में भी जो, नौका अपनी पार लगाती है। वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है। समाज में खुद को ऊंचा उठाती है अंगारों में चलकर भी जिसको, हार नहीं कभी भाती है। वो कोई और […]

संसार की नीव होती है बेटी

-ज्योति मेहता संसार की नीव होती है बेटी। घर की दहलीज होती है बेटी। मां की अनुपस्थिति में घर चलाती है बेटी। शाम को हाथ में चाय थमाती है बेटी। दुख में भी मुस्कुराती है बेटी। बातो को साझा करती है बेटी। मां बाप का दुख बाटती है बेटी। बेटा बाहर कहीं जन्मदिन मनाएगा? घर […]

गुरु-महिमा

– अमीशा रावत 1)गुरु गीता की वाणी है, गायी गयी थी जो समरधरा में; गुरु मधुकर का रस है, जो नन्हे भौंरे का आसरा है; गुरु वसंत का सुहावना मौसम है, जो मदनकलियों का सहारा है। 2)दूर करे जो अज्ञान का साया, गुरु ज्ञान का है वो जगमगाता दीपक; गुरु केशव का पांचजन्य, जो विजयतरंग […]

जुर्म

-शारदा गुप्ता रिश्वत लिया मत करो, जुर्म किया मत करो। करके जुर्म जाओगे जेल, फिर करोगे कितनी भी कोशिश हर अच्छे काम में होगे फेल। जुर्म क्या तुमने एक, आरोप लगेंगे अनेक। गर लग गई जुर्म की आदत। बुरे काम से कर न पाओगे खुद की हिफाजत। हासिल होगा ना कुछ जुर्म से, स्वर्ग नसीब […]

उन पर्वतों से मैंने पूछा

– हिमांशु नेगी उन पर्वतों से मैंने पूछा यह लाल क्यों है तुम्हारी भूमि क्यो ये नीर बह रही लहू से , क्यों यह गगन रूठा है मुझसे । रूठने की वजह बेशक व कारगिल है जहां पग बड़े उन अनजान के, जो हथियाने आए थे ताज हिंदुस्तान के भगाया उनको ज्ञान से हथियार से […]

बंद करो दहेज प्रथा

-रेनुका आर्या बंद करो दहेजप्रथा, नारी का मत करो व्यापार, स्वयं जिसे कहते तुम लक्ष्मी, क्यों कर रहे फिर उसपर तुम अत्याचार | दौलत के तराजू पर तोल के, छीना तुमने उसका अधिकार, नारी बिन जीवन है सुना, थोड़ा तो करो विचार | कभी संगनी, कभी भगिनी बन, उसने लुटाया तुम पर प्यार, दौलत के […]

सृष्टि का सार है नारी

-ज्योति मेहता सृष्टि का सार है नारी । घर की पहचान है नारी। आंचल में छुपाती है नारी। दीवारों को घर बनाती है नारी। उठ भोर घर को मंदिर बनाती है नारी। अन्न को भोजन बनाती है नारी चकला बेलन का खेल खेलती है नारी। बंद कमरों में आंसू छुपाती है नारी धरती माता भी […]

फिर से एक माँ की…..

-पूजा नेगी (पाखी) फिर से एक माँ की तपस्या, बेकार हो गई। आज फिर देवभूमि से मेरी, इंसानियत शर्मसार हो गई। एक बार नही,बार-बार ये मंजर दोहराता है, क्योंकि यहाँ की सरकार,बेकार हो गई। कोई दण्ड नही,आरोपी को सुरक्षा दी जाती है। यहाँ की कचहरी जैसे,आरोपी की तारणहार हो गई। फिर से एक माँ की […]