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कर्तव्यमूर्ति पिता

मेरे जीवन की नींव, परिवार का मुख्य आधार, क्रोध में भी छिपा स्नेह और असीमित प्यार, हे पिता! आप हैं, आप ही हैं। मां के श्रंगार, पायल, बिंदी, सिंदूर लाल चूड़ियों की खनखनाहट के साथ गले का सुंदर हार हे पिता! आप हैं, आप ही हैं। नामकरण, शिक्षा, विवाह और विदाई जैसे संस्कार प्रगति पथ […]

चाचा नेहरू

रोज-रोज सपने में, आते हो झूठ-मूठ। एक बार सचमुच में आओ मेरे चाचा, हाथ में गुलाब लिए राह तेरी देख रहे, इसे अपने कोट पर लगाओ मेरे चाचा। तुम हमको प्यारे थे, तुमने भी प्यार किया, वह अपना प्यार फिर दिखाओ मेरे चाचा। -सतपाल, कक्षा-3 प्राथमिक विद्यालय हल्दूपोखरा, हल्द्वानी