Tag: gunjan joshi

आनंद की बारिश

ओढ़े सफेद चुनरी फिर से मैं आंगन में आ बैठी हूं। अब तो बरसों मेघा प्यारे, मैं खुद को सजाकर बैठी हूं। एक बंूद तुम्हारी कोरी सी, चुनरी को फिर से रंग देगी। सूखी नदियां से जीवन में फिर से अविरल जल भर देगी। कुछ शर्त लगी है ख्याबों से मैं फिर इतराकर बैठी हूं। […]