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विकास और हम

विकास और हम विकास तो बना हुआ है, सामन्तवादी परिपाटी, आजादी मिली मगर, दीवार अभी ना पाटी । ब्लैक कीै मदिरा पीने वाले, राशन का ढूंढे सस्ता गल्ला, बी पी एल कार्ड जेब डाले, घूमता बढे घर का निठल्ला। ऊंच नीच की बढती खाई, नेताजी के वोट का हल्ला, जनता तो बस घूम रही, डाल […]

खेलूं कान्हा संग होली

रंगों के बादल बरसे, सखियां पानी-पानी। चपल श्याम हाथ न आवे, भीगे राधा रानी। सोच रही अब राधा रानी, भर-भर कर सिसकारी। जो श्याम को भिगो सके, लाउं कहां से पिचकारी। गोपी संग झूमे कन्हैया, करते हैं बर जोरी, आंख तरेरे राधा रानी, चुपके चोरी-चोरी। रंग रसिया यह आंखें चंचल, माने कहां निगोरी, यमुना तट […]