Tag: gaulapar

सुन रहे हो ना मेरे पापा

पापा ने ही उंगली पकड़कर चलना सिखाया, सच और झूठ का फर्क बताया शब्द पहला निकला मेरे मुख से पापा सुन रहे हो ना मेरे पापा, काम हमारा आधी रात को भी करते हैं, यह उनके उपर कविता है जिनके उपर हम मरते हैं। जो मांगा पल में वह है पाया वह गुड़िया लादो, कार-स्कूटर […]

बहुत प्यार वो हमको करते

पापा मेरे जान से प्यारे सारे जग से हैं वो न्यारे बहुत प्यार वो हमको करते डांट में उनकी हम हैं डरते सच्चाई का पाठ सिखाते सही राह पर हमें चलाते, कर्ता-धर्ता हैं वो घर के वही हमारे पालनहारे पापा मेरे जान से प्यारे सारे जग से हैं वो न्यारे उनके जैसे बनूंगी मैं भी […]

आपके लिए क्या लिखूं पापा, आपने ही तो मुझे लिखा है

मुझे छांव देकर भी खुद जलते हो धूप में, मैंने सचमुच फरिश्ता देखा है, पिताजी आपके रूप में। पिता!!! परिवार का रोटी, कपड़ा, मकान है। पिता ही तो बच्चे के लिए खुला आसमान है। पिता है तो बच्चे के लिए असीमित प्यार है। पिता के होने से ही तो वीकेंड वाला ‘शनिवार’ है। पिता ईश्वर […]