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बचपन से आंखों में जिनकी सूरत हैं छाई

बचपन से आंखों में जिनकी सूरत हैं छाई, हाथ पकड़ जिनकी मैं चल पाई, गोद में मैं जिनकी पहली बार खिलखिलाई वो मेरे पापा हैं, मेरी परछाईं। मुसीबतों की बाढ़ जब मुझमें आईं, मजबूत हौसले और बात उनकी याद आई। बाजार की सजावटें जब मेरे मन को भाई, चाहे जेब खाली हो फिर भी उन्होंने […]