-गंगा सिंह रावत, हल्द्वानी मन में उथल पुथल बहुत है हर कोने में छाई उदासी है बाहर-अंदर एक-सी हलचल है कहने को तन्हाई है। एक हरेला मन में उगा लूँ उजास भीतर ही पा लूँ हुए जिससे दूर बहुत दूर उस प्रकृति को ह्रदय में बसा लूँ।।
-गंगा सिंह रावत, हल्द्वानी मन में उथल पुथल बहुत है हर कोने में छाई उदासी है बाहर-अंदर एक-सी हलचल है कहने को तन्हाई है। एक हरेला मन में उगा लूँ उजास भीतर ही पा लूँ हुए जिससे दूर बहुत दूर उस प्रकृति को ह्रदय में बसा लूँ।।
-गंगा सिंह रावत, हल्द्वानी मोदी सरकार ने एक बार फिर बम फोड़ा है सिर्फ चार साल की नौकरी फिर निकाला है कुछ के अरमान धरे के धरे रह जायेंगे पसीना जो बहाया था उसकी कीमत कैसे पाएंगे बड़ी विकट है स्थिति उहापोह मे है युवा नेता की सुने या अफसर की माने अग्निपथ में चलना […]