Tag: fathers day par kavita

बिना पिता की छांव के जीवन की कल्पना अधूरी है…

फादर्स डे के उपलक्ष्य में इकपर्णिका लाइब्रेरी में कवि सम्मेलन का आयोजन हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर फादर्स डे के उपलक्ष्य में रविवार को छड़ायल स्थित इकपर्णिका लाइब्रेरी परिसर में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से पिता के त्याग और समर्पण को बताया। कार्यक्रम […]

पापा का वो लोरी सुनाना

-अंजलि, भवाली याद बहुत आता है पापा का, मुझे गोद में उठाना। पापा का वो उंगूली पकड़कर मुझे चलना सिखाना। मेरे गिरने से भी उन्हे दर्द, होता हैं पर ये ना जताना। शाम को मेरे लिए वो खट्टी, टोफीया लाना। याद बहुत आता है पापा का, मुझे गोद में उठाना। पापा का वो थक के […]

सर का ताज भी वही है

-डॉ.शबाना अंसारी, भीमताल घर का मुखिया भी वही है घर का राजा भी वही है जिसको हम वालिद कहते हैं सर का ताज भी वही है|| हमको दुनिया में लाने वाला भी वही है बेहतर जिंदगी देने वाला भी वही जिसको हम वालिद कहते हैं सर का ताज भी वही है|| बाप की बेलोस मोहब्बतों […]

पिता न धूप देखता है, न बरसात देखता है….

पितृ दिवस के उपलक्ष्य में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से फादर्स डे के उपलक्ष्य में जंगल फिएस्टा परिसर में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान कविताओं के माध्यम से जीवन में पिता की भूमिका को बहुत भावुकता के साथ प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य […]

पिता के बाद

-ललिता मिश्रा, एक्सपोंसियल हाईस्कूल, पुराना बिंदुखत्ता लालकुआं लड़कियां खिलखिलाती हैं तेज धूप में, लड़कियां खिलखिलाती हैं तेज बारिश में लड़कियां हंसती हैं हर मौसम में, लड़कियां पिता के बाद संभालती हैं पिता के पिता से मिली दुकान, लड़कियां वारिस हैं पिता की लड़कियों ने समेट लिया मां को पिता के बाद लड़कियां होती हैं मां […]

पापा की लाडली

-अंजलि, हल्द्वानी पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ, पापा तो कम ही बोलते हैं उन्हें जानती हूँ। पापा की लाडली हूँ, आदतें पहचानती हूँ। पापा यू तो कम ही बोलते हैं जानती हूँ। लेकिन राज जब दिल के खोलते हैं, तो उनके आँखो के आसू बोलते हैं। पापा की लाडली हूँ उन्हे पहचानती हूँ। […]

पिता हैं भगवान मेरे

-कुसुम दीपक शर्मा, लालकुआं, नैनीताल पिता हैं भगवान मेरे, पिता हैं सम्मान मेरे। पिता से हैं अस्तित्व मेरा, पिता से है पहचान मेरी।। मरहम बनकर लग जाते, जब चोट मुझे सताती। पिता बिन दुनिया सूनी, जैसे तपती आग की धूनी।। पिता प्रेम की धारा हैं, पिता जीने का सहारा हैं। पिता का प्यार हैं अनोखा, […]