Tag: deepawali poem

जलता रहा मैं, रात पूरी पूरी

-डॉ. आभा सिंह भैसोड़ा जलता रहा मैं, रात पूरी पूरी , तम से रण,रोशनी की जीहजूरी । हर एक ,नकारे विचार पर रोक , खुशी से तादात्म्य ,दूर रहे शोक । देवीके आने का, पथ किया प्रशस्त, स्नेहतेल लबालब , पर था आश्वस्त लक्ष्मी के आगमन का, था बड़ा इंतजार, हर कोना उजला कर, हो […]

रोशनी फिर जगमग आई है

-प्रतिष्ठा पांडे अंधकार अब नष्ट हुआ रोशनी फिर जगमग आई है सुख और समृद्धि की बहार हर घर में छाई है बना कर दिए मिट्टी के गरीबों ने आस लगाई है मेरी मेहनत खरीदेंगे लोग सब ने आस सजाई है हजारों की लड़ियां लगाकर सबने शान बढ़ाई है पर गरीबों के दीयों की लो हमने […]