बरसे मेघ धरा पर ऐसे , जैसे झूमे तुम और मैं । बूँद ने चूमा धरती को ऐसे, जैसे चूमे तुम और मैं । किसी बूँद ने सागर देखा, किसी बूँद ने प्यासे को। किसी बूँद ने आकर देखा, तेरे आँखों के काजल को। बिजली कड़क रही है देखो, आओ झूमे तुम और मैं। पहली […]
बरसे मेघ धरा पर ऐसे , जैसे झूमे तुम और मैं । बूँद ने चूमा धरती को ऐसे, जैसे चूमे तुम और मैं । किसी बूँद ने सागर देखा, किसी बूँद ने प्यासे को। किसी बूँद ने आकर देखा, तेरे आँखों के काजल को। बिजली कड़क रही है देखो, आओ झूमे तुम और मैं। पहली […]