Tag: daughters day par kavita

वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है

-पूजा भट्ट कली से फूल बन जाती है जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है। नदियों के तीव्र वेग में भी जो, नौका अपनी पार लगाती है। वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है। समाज में खुद को ऊंचा उठाती है अंगारों में चलकर भी जिसको, हार नहीं कभी भाती है। वो कोई और […]

संसार की नीव होती है बेटी

-ज्योति मेहता संसार की नीव होती है बेटी। घर की दहलीज होती है बेटी। मां की अनुपस्थिति में घर चलाती है बेटी। शाम को हाथ में चाय थमाती है बेटी। दुख में भी मुस्कुराती है बेटी। बातो को साझा करती है बेटी। मां बाप का दुख बाटती है बेटी। बेटा बाहर कहीं जन्मदिन मनाएगा? घर […]

माँ के गर्भ में बेटी की पुकार

-अंजलि, हल्द्वानी माँ तेरी एक एक हँसी से में भी खुश होती हूँ । तू रोती है तो मैं भी रोती हूँ । तू कितनी प्यारी है माँ कब तू अपने हाथों में पकड़े मुझे ये सोच कर खुश होती हूँ । माँ तेरी एक एक हँसी से में भी खुश होती हूँ । तू […]