-कविता अग्निहोत्री, रूद्रपुर क्यों बचपन गुमशुदा है, कुछ मासूमों को सर्दी में दिन की चिंता है। और गर्मी में हवा की, वो चोट खाकर भी जी लेंगे, पर कमी है दवा की। माथे पर रेखा दिख रही चिंता की, क्यों बचकानी हरकतें जुदा हैं। इतनी भी उम्र नहीं हुई, बस बचपन गुमशुदा है। उड़ती चिड़िया […]