Tag: children’s day poem

क्यों बचपन गुमशुदा है

-कविता अग्निहोत्री, रूद्रपुर क्यों बचपन गुमशुदा है, कुछ मासूमों को सर्दी में दिन की चिंता है। और गर्मी में हवा की, वो चोट खाकर भी जी लेंगे, पर कमी है दवा की। माथे पर रेखा दिख रही चिंता की, क्यों बचकानी हरकतें जुदा हैं। इतनी भी उम्र नहीं हुई, बस बचपन गुमशुदा है। उड़ती चिड़िया […]

काश हम बच्चे हो जाएं फिर से

-डॉ. अंकिता चांदना, हल्द्वानी काश हम बच्चे हो जाएं फिर से वापस मां के आंचल में छिप जाएं फिर से कभी दादी मां की कहानियां दोहराएं फिर से कभी गुड्डा गुड़िया की शादी रचाएं फिर से काश हम……………. वापस लौट मां की गोद में सो जाएं फिर से हंसी ठिठोली, दोस्तों की टोली बनाएं फिर […]

दून कान्वेंट के प्यारे-प्यारे बच्चे

-शशी जोशी, हिंदी शिक्षिका दून कान्वेंट स्कूल, हल्द्वानी हम दून कान्वेंट के प्यारे-प्यारे बच्चे हैं। हम दून कान्वेंट के नन्हें-मुन्ने बच्चे हैं। शैतानी करते हैं खूब, लेकिन दिल के सच्चे हैं। साफ-सफाई से रहने को मैम ने हमें सिखाया है। लड़ाई-झगड़ा बुरी आदत है, हमको ये समझाया है। हाथ धोकर खाना खाते, बच्चे वे ही […]