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क्यों तुम मुझको गुड़िया कहते थे पापा

क्यों तुम मुझको गुड़िया कहते थे पापा, लोगों ने तो मुझे खिलौना बना दिया। भावशून्य निर्जीव वस्तु के जैसा ही, चलता फिरता एक नमूना बना दिया।। अपनी बिटिया रानी को खुद तुमने ही, घर से दूर यहाँ गैरों में रहने को। छोड़ दिया असहाय अकेली इन सबकी, तीखी नज़रे, कड़वी बातें सहने को।। मैं सबकी […]