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माँ याद आती है

-पूजा नेगी (पाखी), पुराना बिंदुखत्ता, लालकुआं तेरी ममता की छांव मुझे माँ अकसर याद आती है। तन्हाई के हर आलम में एक एहसास बन जाती है। एहसासों के आलम को माँ जीना सीखा देती है। गुमनाम सी जिंदगी को एक पहचान दे देती है। दूरी तुझसे कितनी भी हो माँ याद तेरी आ जाती है। […]

पोषण और कुपोषण

– आदित्य कुमार, पुराना बिंदुखत्ता दो रोटी को तरसते है, बात क्या बतायें पोषण का? बच्चे शिकार क्यों न हो? माँ थी शिकार कुपोषण का। पालक चहा कर भी , कुछ नहीं कर पाता है, भूख प्यास सह कर , दो पैसे ही ला पाता है। होती है शिकार औरत जालसाजी और शोषण का बच्चे […]

हमारे सपने को साकार करता वो परिंदा

खुले आसमान में हमारे सपने को साकार करता वो परिंदा जिसे जानते लोग अनेंकों नामों से अलग-अलग धर्मों से हैं। अलग-अलग भाषाएं हैं अलग-अलग गाथाएं कहीं अब्बू कहीं पापा तो कहीं और नामों से है वो जाना जाता सबसे प्यारा है वो पिता हमारा जिसकी गोद में देखी पूरी दुनिया उसकी बात ही बता रहा […]

मेरे मनपसंद पापा

प्यारे पापा प्यारे पापा मेरे मनपसंद पापा सबसे अच्छे सबसे प्यारे उंगली पकड़के उन्होंने चलना सिखाया दौड़ना भी उन्हीं से सीखा गुस्से में मनाते पापा मेरे प्यारे प्यारे पापा हर मुसीबत में बचाते पापा मेरा दर्द खुद सह लेते पापा मेरे सबसे अच्छे पापा। -हिमांशी बिष्ट, एक्सपोंसियल हाईस्कूल बिंदुखत्ता।

जिनसे मेरे जीवन में खुशियां आईं

मेरे पिता, मेरी परछाईं जिनसे मेरे जीवन में खुशियां आईं। मुझे छांव में बैठाकर खुद, धूप में मेहनत करते हैं पिता। मां रसोई संभालती है तो, हमारी जरूरतों को पूरा करते हैं पिता। प्यार न दिखाकर भी, सबसे ज्यादा प्यार करते हैं पिता। मां ममता का सागर है तो, जीवन का सहारा है पिता। छोटी-छोटी […]

जीवन भर रहे पिता का साया

जीवन भर रहे पिता का साया पापा जो न होता आपका साया हमारे सर पे, शायद आज न होते हम इस डगर पे। जो आपने हमें है सिखाया, वो हमेशा हमारे काम आया। आपने हमें हमेशा सही राह दिखाई, हम कहीं गलत रास्ते पर न चल पड़ें, इसलिए आपने हमें हर कदम पर सही सीख […]

मेरी तकदीर में गम नहीं

मेरी तकदीर में गम नहीं होता अगर मेरी तकदीर लिखने का हक मेरे पापा का होता कंधो पर झुलाया कंधों पर घुमाया एक पापा की बदौलत ही मेरा जीवन खूबसूरत बन पाया कहते हैं जब मां छोड़कर जाती है तब दुनिया में कोई दुआ देने वाला नहीं होता है और जब पिता छोड़कर जाते हैं […]

रोटी है, कपडा है, मकान है पिता

पिता रोटी है, कपडा है, मकान है, पिता नन्हे से परिन्दें का बडा आसमान है। 2।। पिता है तो घर मे प्रतिपल राल है, पिता से माॅ की चूडी , बिन्दी और सुहाग है। पिता है तो बच्चों के सारे सपने है, पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने है। -प्रेमा बिष्ट, संजयनगर बिंदुखत्ता

फरिश्ता है पिता

एक फरिश्ता है पिता,खुदा ने जिसको बनाया। दिल मे जिसके बेपनाह,प्यार ही प्यार समाया। हर घर की बुनियाद का,पत्थर उसको बनाया। मन-मंदिर से नर्म उन्हें बाहर से कड़क बनाया। मुश्किलों भरी धूप में,पल-पल उनको तपाया। तकलीफ अनन्त देकर,सहनशील उन्हें बनाया। बरगद सी शीतल छाया व आश्रय उनमे समाया। नदियों सा अविरल व अनुशासित उनको बनाया। […]

खुशी का मेला है पिता

कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता, कभी कितना अकेला और तन्हा है पिता। मां तो कह देती है अपने दिल की बात, कभी रोता तो कभी सोता नहीं है पिता। कभी-कभी सोचती हूं कितने बदल गए हैं इंसान, पिता की दवाइयां इन्हें लगने लगी हैं बोझ। और पत्थरों में करने लगे हैं भगवान […]