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खुशी का मेला है पिता

कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता, कभी कितना अकेला और तन्हा है पिता। मां तो कह देती है अपने दिल की बात, कभी रोता तो कभी सोता नहीं है पिता। कभी-कभी सोचती हूं कितने बदल गए हैं इंसान, पिता की दवाइयां इन्हें लगने लगी हैं बोझ। और पत्थरों में करने लगे हैं भगवान […]