-ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी क्यो बेटों जैसे बेटी, जीवन जी नहीं पाती? आखिर क्यों बेटी, बोल नहीं पाती ? मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ?, इसमें मेरा क्या कसूर ? हर किसी की बातों में क्यों? बेटा ही मशहूर ?…. क्यों एसा होता है अक्सर …….. बेटी ही गलत कहलाती हैं क्यों बेटों जैसे बेटी…. […]