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बेटी का सवाल

-ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी क्यो बेटों  जैसे बेटी, जीवन जी नहीं पाती? आखिर क्यों बेटी, बोल नहीं पाती ? मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ?, इसमें मेरा क्या कसूर ? हर किसी की बातों में क्यों? बेटा ही मशहूर ?…. क्यों एसा होता है अक्सर …….. बेटी ही गलत कहलाती हैं क्यों बेटों जैसे बेटी…. […]

मृत्यु को मैं जी रही

-डॉ. शबाना अंसारी विरह में प्रियतम के संसार ही सुनसान है घुट घुट के जी रही विष ये भी पी रही तुम बिन मेरे प्रियतम मृत्यु को मैं जी रही सात वचनो में बंधी देह को तेरी किया धूल चरनो की तेरी मांग में अपनी भरा इससे जियादा किया करूं ये वचन कम तो नहीं […]

बेटियाँ

-मेघा भट्ट, कक्षा – 9 दून कान्वेंट स्कूल, हल्द्वानी हर घर की शान होती हैं, बेटियाँ हर आँगन की मान होती हैं,बेटियाँ। जब भी किसी घर मे जन्म लेती हैं, बेटियाँ उस घर की लक्ष्मी मानी जाती हैं, बेटियाँ। घर की सुंदरता को बढ़ाती हैं, बेटियाँ सब का आदर ,सम्मान करती हैं बेटियाँ । लक्ष्मी, […]

हंसकर पैदा होती है वो

-हर्षित जोशी, हल्द्वानी हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो, समझ कर सर का भार बियाही जाती है वो । अपनो की खातिर खुद के अरमानों का कत्ल कर लेती है वो , हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो ।।1।। […]

शक्ति का नाम ही नारी है

-कोमल भट्ट कोमल है, कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है… जीवन जग को देने वाली , मौत भी तुझसे हारी है | माना की मर्द ने किया बहुत कुछ पर तुझसे ही तो सब कुछ पाया है, जग- जननी का रूप है तू तू ही तो भगवान का साया है| कल्याणी है […]

नारी की परिभाषा

-डॉ. अंकिता चांदना शर्मा, हल्द्वानी सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, काली भी बन जाती है मनमोहिनी, चंचला, ममता की सरिता ये बहाती है। तोड़ के जब सारे बंधन, पंख ये फैलाती है। आसमान की ऊंची बुलंदियों को ये छू जाती है। इसकी वाणी में है कतार, जिसका कोई तोड़ नहीं नारी की शक्ति को ना ललकारो, इस […]

सुनो ओ पहाड़ की बेटियों

-किरन पंत ‘वर्तिका’ जाने किसकी नजर लगी मेरे गांव को मेरी खुशियों को नीलाम कर गए। मेरे देवों की पुण्य भूमि को यह बाहरी दानव कलंकित कर गए। मगर भयभीत ना होना तुम एक पल भी यह तुम्हारी शक्तियों को जागृत कर गए। एक ने बलिदान दिया तुम संहार करोगी सुनो ओ पहाड़ की बेटियों…………. […]

वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है

-पूजा भट्ट कली से फूल बन जाती है जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है। नदियों के तीव्र वेग में भी जो, नौका अपनी पार लगाती है। वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है। समाज में खुद को ऊंचा उठाती है अंगारों में चलकर भी जिसको, हार नहीं कभी भाती है। वो कोई और […]

ना जाने कियू

-अंजलि, हल्द्वानी ना जाने बेटियों को कियू सही से उठो बेठो समझाया जाता है। सही से कपड़े पहनो और डुब्बटा डालो बताया जाता है। दर्द सहने का तो मानो सारा हिसाब बताया जाता है। 5 दिन का दर्द सहती है वो डरी-डरी रहती हैं फिर भी उसे सब कारणों की वजह बताया जाता है। 17 […]

बेटी पढ़ाओ

-अराधना शुक्ला, रूद्रपुर शिक्षा जीवन का आधार है जीवन बेहतर बनाने का यह एकमात्र मार्ग है आओ सब मिलकर इसे बढ़ावा दें कोई ना वंचित हो शिक्षा से ऐसी सबको सीख दें, बेटों ने किए हैं काम बड़े बेटियां भी कंधे से कंधा मिलाकर हैं खड़े आओ इन्हें भी दे अधिकार समान बेटियां भी कर […]