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ना जाने कियू

-अंजलि, हल्द्वानी ना जाने बेटियों को कियू सही से उठो बेठो समझाया जाता है। सही से कपड़े पहनो और डुब्बटा डालो बताया जाता है। दर्द सहने का तो मानो सारा हिसाब बताया जाता है। 5 दिन का दर्द सहती है वो डरी-डरी रहती हैं फिर भी उसे सब कारणों की वजह बताया जाता है। 17 […]

मन हरण घनाछरी

ना समझो बेटी भार, है ये सृष्टि का आधार, देके शिक्षा हथियार , जीवन बचा इ ये। खुशियों के  भरो रंग, दीजिए नई तरंग, पढ़ा इन्हे बेटों सम, गौरव दिलाइए। मानो ना इन्हें पराई, लोगों से करो लड़ाई, सुन लो पुकार अब, रीत ये चलाइए। जिनके हैं मन काले, नारी बस देह लागे, ऐसे दुराचारी […]