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उसने कैसे पाले बच्चे

-बीना फूलेरा, हल्द्वानी उसने कैसे पाले बच्चे ये मत पूछो उससे वो रो पड़ेगी फ़ूटकर खिड़की के दरवाजे से बाधे गए उस बच्चें के पैर बता देगी साड़ी में पड़ी गाठें वो बंद दरवाजे गवाही दे देंगे जिन्हें पीटा गया नन्हें हाथों से दीवारों से पूछों सुनाई देंगी अनगिनत अनसुनी आवाजें जो लगाई उस बच्चें […]

बीना फूलेरा बनीं साहित्यकार ऑफ द मंथ

हरफनमौला वेबसाइट की दिसंबर माह की प्रतियोगिता में रहीं विजयी हल्द्वानी। हरफनमौला वेबसाइट की ओर से दिसंबर में आयोजित मासिक काव्य प्रतियोगिता में बीना फूलेरा की कविता ‘अरे! नवयुवक…’ और कहानी ‘अक्श का धुंध’ को 500 से अधिक व्यूज मिले हैं। इस उपलक्ष्य में संस्था की ओर से उन्हें डिजिटल सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। […]

अक्स की धुंध

-बीना फूलेरा ” विदुषी”, हल्द्वानी “लो अपना बस्ता पकड़ो बेटा और सीधे स्कूल जाओ “। माँ ने सिम्मी से कहाँ । “नही माँ मुझे डर लगता हैं .तुम भी आओ ना मेरे साथ” ..। माँ के पल्लू से आँसू पोछती सहमी सिम्मी माँ से बोली । तभी सिम्मी की माँ हेमा झुंझला कर बोली .”.तुम्हारा […]

अरे ! नव युवक ….

– बीना फूलेरा “विदुषी’, हल्द्वानी अरे ! नव युवक तू सो रहा है? जगी अलसाई रात , भोर की पलक खुली बही सुगंधित मलय समीर मचल उठी कोमल गात कली। जो हुआ नही कभी वो हो रहा है अरे ! नव युवक तू सो रहा है? स्पंदित हुई लघु सरिता सागर की छलक उठी किरणें […]