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बारिश

-डॉ. शबाना अंसारी, भीमताल बूंद बारिश की हवा की सिमत गिरती है दोनो मिलके मौसम की बहारो को दोवाला करती है तुमको मुड़ना था हवा के रुख के साथ हम वही पर कहीं तुमको इंतजार करते मिल जाते मौसम की खुमारी में हमारे साथ होने से वो सारे दाग धुल जाते जो हम दोनो पे […]